- जो अपनी ही भलाई चाहता है :- स्वार्थी
- जो दूसरों की भलाई चाहता है :- परमार्थी
- जो देखने में प्रिय लगता है :- प्रियदर्शी
- जो आसानी से लब्ध प्राप्य है :- सुलभ
- जो दूसरों के अधीन है :- पराधीन
- जो मन को हर ले :- मनोहर
- जो धर्म करता है :- धर्मात्मा
- जो साँप पकड़ता है :- सँपेरा
- जो पीने योग्य हो :- पेय
- जो नाचता है :- नर्तक, नृत्यकार
- जो कुछ नहीं जानता है :- अज्ञ
- जो नया आया हुआ हो :- नवागन्तुक
- जो भू के गर्भ भीतर का हाल जानता हो :- भूगर्भवेत्ता
- जो भू को धारण करता है :- भूधर
- जो सर्वशक्तिसम्पत्र है :- सर्वशक्तिमान्
- जो कर्त्तव्य से च्युत हो गया है :- कर्त्तव्यच्युत
- जो बात वर्णन के अतीत बाहर है :- वर्णनातीत
- जो स्त्री सूर्य भी न देख सके :- असूर्यम्पाश्या
- जो अत्यन्त कष्ट से निवारित किया जा सके :- दुर्निवार
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
- जो आग्रह सत्य हो :- सत्याग्रह
- जो मुकदमा दायर करता है :- वादी
- जो अश्र्व घोड़े का आरोही सवार है :- अश्र्वारोही
- जो संगीत जानता है :- संगीतज्ञ
- जो कला जानता है या कला की रचना करता है :- कलाकार
- जो सरों में जनमता है :- सरसिज
- जो सबमें व्याप्त है :- सर्वव्यापी
- जो मुकदमा लड़ता रहता है :- मुकदमेबाज
- जो देने योग्य है :- देय
- जो देखा नहीं जा सकता :- अदृश्य
- जो वचन से परे हो :- वचनातीत
- जो कहा गया है :- कथित
- जो स्त्री के वशीभूत या उसके स्वभाव का है :- स्त्रैण
- जो दूसरे से ईर्ष्या करता है :- ईर्ष्यालु
- जो शत्रु की हत्या करता है :- शत्रुघ
- जो पिता की हत्या कर चुका :- पितृहन्ता
- जो माता की हत्या कर चुका :- मातृहन्ता
- जो अपनी हत्या करता है :- आत्मघाती
- जो नभ या आकाश में चलता है :- नभचर, खेचर
- जो द्वार का पालन रक्षा करता है :- द्वारपाल
- जो शास्त्र जानता है :- शास्त्रज्ञ
- जो कोई वस्तु वहन करता है :- वाहक
- जो पोत जहाज युद्ध का है :- युद्धपोत
- जो चक्र धारण करता है :- चक्रधर
- जो भेदा या तोड़ा न जा सके :- अभेद्य
- जो कठिनाई दुर से भेदा या तोड़ा जा सके :- दुर्भेद्य
- जो मापा न जा सके :- अपरिमेय
- जो प्रमेय प्रमाण से सिद्ध न हो :- अप्रमेय
- जो इच्छा के अधीन है :- इच्छाधीन
- जो दूसरे के स्थान पर अस्थायी रूप से काम करे :- स्थानापत्र
- जो विधि या कानून के विरुद्ध है :- अवैध, गैरकानूनी
- जो दायर मुकदमे का प्रतिवाद बचाव या काट करे :- प्रतिवादी
- जो राजगद्दी का अधिकारी हो :- युवराज
- जो व्याख्या करता है :- व्याख्याता
- जो साँप पकड़ता और उसका खेल करता है :- सँपेरा
- जो मोक्ष चाहता हो :- मुमुक्षु
- जो स्मरण रखने योग्य है :- स्मरणीय
- जो पांचाल देश की है :- पांचाली
- जो किसी का पक्ष न ले :- निष्पक्ष
- जो यान सवारी जल में चलता है :- जलयान
- जो पुरुष लोहे की तरह बलिष्ठ है :- लौहपुरुष
- जो खाया न जा सके :- अखाद्य
- जो सबके आगे रहता हो :- अग्रणी
- जो नेत्रों से दिखाई न दे :- अगोचर
- जो खाली न जाय :- अचूक
- जो अपने स्थान या स्थिति से अलग न किया जा सके :- अच्युत
- जो छूने योग्य न हो :- अछूत
- जो छुआ न गया हो :- अछूता
- जो अपनी बात से न टले :- अटल
- जो अपनी जगह से न डिगे :- अडिग
- जो सबके मन की जनता हो :- अंतर्यामी
- जो बीत गया है :- अतीत
- जो दबाया न जा सके :- अदम्य
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
- जो किसी विशेष समय तक ही लागू हो :- अध्यादेश
- जो परीक्षा में परीक्षा में उत्तीर्ण न हुआ हो :- अनुत्तीर्ण
- जो पूरा या भरा हुआ न हो :- अपूर्ण
- जो किसी की ओर मुँह किये हुए हो :- अभिमुख
- जो काव्य, संगीत आदि का रस न ले :- अरसिक
- जो साधा ठीक किया न जा सके :- असाध्य
- जो शोक करने योग्य नहीं है :- अशोच्य
- जो स्त्री ऐसी पर्दानशीन है कि सूर्य को भी न देख सके :- असूर्यम्पश्या
- जो विधान या नियम के विरुद्ध हो :- असंवैधानिक
- जो पहले कभी न हुआ हो :- अभूतपूर्व
- जो सदा से चलता आ रहा है :- अनवरत
- जो आगे की न सोचता हो :- अदूरदर्शी
- जो समय पर न हो :- असामयिक
- जो दिया न जा सके :- अदेय
- जो मानव के योग्य न हो :- अमानुषिक
- जो हिसाब – किताब की जाँच करता हो :- अंकेक्षक
- जो पहले कभी घटित न हुआ हो :- अघटित
- जो पहले कभी नहीं सुना गया :- अश्रुतपूर्व
- जो जन्म लेते ही गिर या मर गया हो :- आदण्डपात
- जो आलोचना के योग्य हो :- आलोच्य
- जो इंद्रियों के ज्ञान के बाहर है :- इंद्रियातीत
- जो छाती के बल चलता हो :- उदग सर्प
- जो धरती फोड़ कर जनमता है :- उदभिज
- जो उद्धार करता है :- उद्धारक
- जो कल्पना से परे हो :- कल्पनातीत
- जो केन्द्र की ओर उन्मुख होता हो :- केन्द्राभिमुख
- जो सदैव हाथ में खड्ग लिए रहता हो :- खड़गहस्त
- जो कठिनाइयों से पचता है :- गरिष्ठ/गुरुपक
- जो गिरि पहाड़ को धारण करता हो :- गिरधारी
- जो चिरकाल तक बना रहे :- चिरस्थायी
- जो चर्चा का विषय हो :- चर्चित
- जो जरायु गर्भ की थैली से जनमता है :- जरायुज
- जो यान जल में चलता हो :- जलयान
- जो तर्क योग्य हो :- तार्किक
- जो तर्क के आधार पर सही सिद्ध हो :- तर्कसंगत
- जो तीन गुणों सत्व, रज, व तम से परे हो :- त्रिगुणातीत
- जो दर्शन – शास्त्र का ज्ञाता हो :- दार्शनिक
- जो द्वार का पालन रक्षा करता है :- द्वारपाल
- जो मुश्किल से प्राप्त हो :- दुष्प्राप्य
- जो विलंब या टालमटोल से काम करे :- दीर्घसूत्री
- जो एक अक्षर भी न जानता हो :- निरक्षर
- जो तेजहीन हो :- निस्तेज
- जो अपने लाभ या स्वार्थ का ध्यान न रखता हो :- निःस्वार्थ
- जो कामना रहित हो :- निष्काम
- जो चिन्ता से रहित हो :- निश्चिंत
- जो उत्तर न दे सके :- निरुत्तर
- जो न्याय जनता हो :- नैयायिक
- जो अति बहुत लघु छोटा नहीं है :- नातिलघु
- जो अति बहुत दीर्घ बड़ा नहीं है :- नातिदीर्घ